घड़ी की सुई को बार-बार,
मैं पीछे घुमता रहा.
वक़्त चलता रहा बेशक,
पर में दिल को बहलाता रहा.
बड़ा नाज़ुक है मेरा दिल,
ज़रा सी बात पर टूट जाता है,
ज़िक्र तेरा ना करू अपने नाम के साथ,
बच्चे की तरह मुझसे रूठ जाता है.
बड़ा मुश्किल होता है समझना,
जब वक़्त देकर अपना कोई भूल जाए.
मै बातों में अपने इस नादान,
से दिल को लगता रहा.
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