मैं रंगों से डरता हूँ
मैं डरता हूँ उस काली लड़की के काले नसीब से
कहीं काला न हो जाऊँ, इसीलिये गुजरता नहीं उसके करीब से,
मैं डरता हूँ उस विधवा की सफेद साड़ी से
फेंक दिया था जो उसके सिंदूर को
किसी ने चलती गाड़ी से
मैं डरता हूँ सड़को पर बहते लाल रक्त से
पूछता हूँ अनगिनत सवाल खुद से, समाज से, धर्म से और वक्त से
हर रंग मुझे डराता है
मुझे सफेद कर जाता है
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