कुछ कहूं........
कुछ राबता जो हो तो उससे कुछ कहूं,
वोह दर्द पूछे में इश्क़ कहूं।
अगर नादानियों शैतानियों से में नाराज़ हूं,
वोह मर्ज पूछे में इश्क़ कहूं।
उनकी मुस्कान के लिए में जो बेसब्र हूं,
वोह राज पूछे में इश्क़ कहूं।
थमती धड़कन और बढ़ती सांसे जो सहुं,
वोह वजह जो पूछे में इश्क़ कहूं।
उसकी वजह से बेचैन और बेरंग बैठा हूं,
वोह सज़ा पूछे में इश्क़ कहूं।
वोह अक्सर मेहरबां होती है में निसार होता हूं,
वोह रजा पूछे में इश्क़ कहूं।
#gabbarthinks
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