मसले तकरार-ऐ मुहब्बत के कुछ इस तरह से सुलझा रहे है हम
खुद से ही रूठ रहे है हम,,और खुद को ही मना रहे है हम
उसकी बेवफाई का गम कुछ इस तरह से उठा रहे है हम
उस बेवफा के दिए हर ज़ख्म को ,अब नासूर बना रहे है हम
मसले - समस्याएं
नासूर - ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता हो
तकरार- बह्स, वाक्कलह, कहा-सुनी
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