सोचा ना था की ये दशक इतना अनोखा होगा,
खुश दिखना खुश रहने से ज्यादा जरुरी होगा,
चीख-चिल्लाकर मजाक बनने से बेहतर,
चुपचाप हँसकर दर्द छिपाना सीखना पड़ेगा,
बाहर जितना ज्यादा अपनों का शोर होगा,
अन्दर से उतना ज्यादा ही हर इन्सान अकेला होगा,
पहले इन्सान मरता था पर रूह जिन्दा रहती थी,
अब तो रूह मरती है बस इन्सान जिन्दा रहता है...!
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