चलो! मैं "मैं" बन जातीं हूँ, तुम ख़ुदी में ही रह जाओ, ख़ुद को ख़ुद ही सहलाओ, जब हम की याद आएगी तुमको, मैं अपनी "मैं" संग निकल जाऊंगी, दूर बहुत दूर क्षितिज से भी परे, मेरी "मैं" और तुम्हारी "ख़ुदी" में, "हम" की गाड़ी पटड़ी से उतर जाएगी।
मौत की कगार पर हमने, उल्फत-ए-जिंदगी लिख दी ऐ इश्क़ तेरी ख़ातिर, हम ने अपनी हर खुशी लिख दी तेरा मुकम्मल होना, ना होना, फ़कत तेरे ही हाथों में है ख़ुद को छोड़ दिया हमने, तेरे लिए सारी ख़ुदी लिख दी