QUOTES ON #खंडित

#खंडित quotes

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29 DEC 2021 AT 19:30

मैं हर कालक्रम से गुजरी हूँ
मैंने समय के आरंभ को,
हर खंडित कालखंड को,
काल के क्रम को संपूर्ण देखा है,
मैंने संस्कृति का आरंभ, उत्थान,
पतन का हर खंड संपूर्ण देखा है,
मैं हर कालखंड से गुजरी हूँ,
मैं महाकाल की मृत्युंजयी,
भारत भूमि हूँ!

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29 DEC 2021 AT 16:59

हमारा इतिहास खंडित कलमों ने लिखा है,
आधा ही लिखा है, आधा ही पढ़ा है,
हमारे अखंड शौर्य के कई पन्ने कोरे हैं,
कुछ आधे फटे हैं, कुछ पूरे गायब है, 
इस अखंड शौर्य का गौरव गान हो,
पुनः वीरता का मान हो,
पुनः शौर्य का हमें भान हो,
इसलिए कलम उठाई है,
कुछ पन्नों को पुनः लिखना है,
कुछ पन्नों को पूरा लिखना है,
अखंड शौर्य को पुनः स्थापित करने हेतु,
संकल्प से सृजन करना है|

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7 JUL 2020 AT 22:48

कुचली हो किसी बालक ने

पैरों तले खेल खेल में बाँसुरी

कितनी भी रही हो मीठी, तान गुम हो जाती है


एक फटे कागज़ का टुकड़ा

हवा के इशारे पर रहता है उड़ता

कितना भी भटक ले,मुड़ कर जहाज नहीं बन पाता है


चटके दीये से सोख लेता है तेल

अंधा आधार प्यासा बन,लेता है बदला

कितनी भी प्रखर हो लौ, प्रकाश मृत हो जाता है


फटें होठों से रिसती हैं पपड़ियाँ

रागों में पड़ जाती हैं विराग की दरार 

कितना भी हो सुरीला,कण्ठ कूकना भूल जाता है 

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1 MAY 2020 AT 14:13

खण्डित मूर्ति कभी मंदिर में नहीं लगती
परंतु खण्डित हृदय सदैव मंदिर में लगता है

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19 JUL 2021 AT 22:39

कोमल हृदय मेरा
समाज द्वारा फेंके गए
पत्थरों का प्रहार सह
पत्थर हो गया
और मैं...
बन गई एक दीवार

जिसे न लाँघ पाना सरल है
न ही भेद पाना

इसलिए हे! तोपची...
स्वीकार कर लो पराजय
पर क्या तुम्हें मेरी विजय स्वीकार्य होगी

नहीं...
क्योंकि तुम बस खंडित करना जानते हो
और
ईश्वर की खंडित प्रतिमा को छोड़कर
अपना पुरुषार्थ स्थापित करने के लिए
तुम वस्तुतः खंडित वस्तुओं के पुजारी हो

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15 AUG 2017 AT 9:50

भेदभाव से हर गरीबों का सीना रंजीत
खाक जियेंगे प्रेम भाव को कर के सिंचित
जब एकता दिखती है यहाँ खंडित खंडित
क्या अब भी नहीं करोगे उन सबों को दंडित
कुकर्म किये जो करते खुद को महिमामंडित!

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28 AUG 2017 AT 20:31

दंडित कर नहीं इतना कि इरादे खंडित हो जाए!

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"खंडित जनादेश"
की स्थिति में
कोई जीते।
हारती है
सिर्फ़ जनता।।

😢होगी बंदरबांट😢

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15 SEP 2021 AT 20:03


दिल कुछ ऐसा टूटा है ,, अब लगे की रब ही रूठा है।
जी करता है धूनी रमा लू,, जाके यूं एकांत में ।
दुख ना हो उम्मीदों से ,, और मोह ना हो इस पाश की।
भस्म बने ये सारी काया ,, अंत हो सारी पीड़ा का ।
खो जाए सतरंगी सपने,, नीले इस आकाश में।


नहीं पता क्या भूल हुई थी ,,जन्मों के इतिहास में।
चुका रही हूं स्वश्रुओं से ,,बाकी जितने भाग्य में।
किन पापों की बलि चढ़ गए ,, जीवन सारे पल।
अपने मन के क्रंदन की ही,, गूंज सुनूं आकाश ।


---संजीवनी

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खंडित जनादेश देकर के मूक बधिर लाचार रहो।
कर्नाटक जैसी नौटंकी की ख़ातिर तैयार रहो।।

😢ठीक नहीं आसार😢

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