Trikha Sharma 23 MAY 2017 AT 15:25 मौहब्बत तुम्हारी इबादत हमारी...ख़ुदा की कसम... ना ख़ुदा हो गये तुम।रुलाने की बातों से हँसाने की ज़िद है..उफ़ ये सितम...क्या से क्या हो गये तुम।तेरी बेरुखी को क्या नाम दें हम...रहे पास फिर भी...जु़दा हो गये तुम।नहीं फर्क कोई किसी बद्दुआ से...सितमगर मेरी... हर दुआ हो गये तुम।तुम्ह़े ढूँढती हूँ मेरी धड़कनों में...न जाने कहाँ...गुमशुदा हो गये तुम।तेरे दिल की महफ़िल हमीं छोड़ देंगे...बहुत भीड़ है...गुलसिताँ हो गये तुम। - Dinesh Dadhichi 13 SEP 2020 AT 10:28 जो कुर्सी मिली, क्या से क्या हो गये वो।ख़ुद अपनी नज़र में ख़ुदा हो गये वो।उन्होंने कहा, कुछ तो फ़रमाइये ना,ज़रा सच जो बोला, ख़फ़ा हो गये वो!(दिनेश दधीचि) - Jaya Mishra 27 FEB 2020 AT 23:14 आंधियाँ वज़ूद उखाड़ फेंकतीं हैं अक़्सर, गुमानों को तार-तार होने में वक़्त थोड़े लगता है। - neha soni 6 JUL 2019 AT 22:05 उस पेड़ पर भी क्या बैठना सनेह,जो अपनी डाल का बोझ भी नही उठा सकताऔर उस डाल से क्या प्रीत रखना,जो एक-एक करके अपने पत्तों को है बेदखल ही करता| -