कुंठित भाव- भाग 13
सृष्टि की पुनः रचना संभव हुई, ये मोदी जी का अनुगृहीत्व है।
काल की चक्र मुड़ी है विपदा से, ये मोदी जी का अस्तित्व है।।
भय कपाल को बेड़ियों में बांध, ये प्रजा का स्नेह योगदान है।
मुर्क्षित पथ सुनसान पड़ा था, निडर प्रजा का ये अभियान है।।
उत्कृष्ट कार्य हुई जग जाहिर, ये सम्पूर्ण विश्व का अभिमान है।
समवर्ती योद्धा का गठन हुआ था, ये मोदी नेतृत्व में भगवान् है।।
खंड विभक्त की चेष्टा हुई, भारतवर्ष भूमि पे युद्ध बड़ा कठिन है।
बीहड़ व्यथा को बिगत पछाड़ चुके, ये सामंजस्य का परिणाम है।।
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