QUOTES ON #किंचित

#किंचित quotes

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9 JAN 2020 AT 18:46

सात्विक प्रेम में त्याग की भावना प्रबल होती है
देहलिप्सा की लालसा किंचित धुमिल पड़ जाती है

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8 APR 2019 AT 16:19

यद्यपि हम दोनों ने बहुत समय संग बिताए
तथापि हम दोनों में एक सहज प्रेम उपज न पाया
किंचित मात्र प्रेमांश यदि रह जाता हृदय में
कदाचित बिछड़ते नहीं हम एक विरहिन ने बताया

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22 NOV 2020 AT 17:04

किंचित भय तो है तुम्हे
कि नकार न दूं मैं कहीं तुम्हें,इसलिए
आते हो मुझसे मिलने सदा निर्विकार से
कभी पत्तों की ओस में
कभी ख़ुशबू बन हवाओं में
कभी रातों के ख़्वाब में
कभी जज्बातों के अहसास में
कहाँ कर पाती शिकायत तुम्हारी
न रूप, न रंग न कोई नाम पता
कुछ भी तो न था साकार सा
था तो केवल कुछ निराकार सा ।


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6 AUG 2020 AT 12:33


फिर सर पकड़कर, मत रोना
है मिलता एक ही बार ये
ले लपक, मिले न हर बार रे
हैं ताक में कितने, जाने क्या
चल पग बढा, आगे तो आ
किंचित भयभीत, न होना तू
कोशिश की न होती,हार रे।
Laxmi

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11 APR 2017 AT 15:58

चंचल नवजात रवि किरणें
हरी घास पर बिखेरती ऊष्मा सी
देखो इन चंचल किरणों की ऊर्जा
किंचित तुम्हारे मन का मोतियाबिंद
कुछ निजात पा जाए
बिटिया को तुम्हारी भी
कुछ क्षण इन चार दीवारों से
बाहर निकलने की इजाज़त मिल जाए

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19 SEP 2021 AT 15:37

आखिरीदमतक कोशिशकरना,जीत तुम्हेंमिलजाएगी
एकनएक दिन मंजिल खुद ही, विजयहार पहनायेगी
बाधाओं से घबराकर ,जो राह से भटका,किंचित भी
सोचो उतनी दूर सफलता , स्वयं खिसकती जाएगी
दृढ़ निश्चय संकल्प किया तो , बाधाएं क्या कर लेंगीं
देख के तेरा दृढ़ निश्चय वो , दुम दबा भाग जाएगी
जो डर बैठा समझो उससे , मंजिल दूर तो होनी है
जो डटकर के खड़ा हुआ तो, बाधा गायब हो जाएगी
गैर अगर असफल होते हैं, उसमें तो उनकी गलतीहै
उस गलती से सबक सीखना ,राहें आसां हो जाएगी
बैथक हिम्मत साहस रखकर , आगे ही बढ़ते रहना
सोच समझके कदम रखे तो,मंजिल भी मिलजाएगी
बस आखिरी दम तक कोशिश करना

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3 APR 2020 AT 9:35

अंधकार हरकर धरा का, "कोरोना" संताप मिटाना है
हर एक "भारतीय"संगठित,सबको अहसास कराना है
हैं हम एक - दूजे से सभी, सुख - दुःख सबके साझा हैं
नहीं डरेंगे किंचित भी, सबमिल दुविधा से तर जाना है।

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स्त्रियाँ खरीदी जाती हैं पहले, फिर बेची जाती हैं। पुरुष बेचे जाते पहले और फिर खरीदे जाते हैं।

खरीद-फरोख्त दृष्टिगोचर है, बेचना गुप्त रहता है।

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23 JAN 2020 AT 9:08

मेरे हृदय की झील में, ये किसकी परछाई है
किसकी यादों के कंकर से, लहर कहीं उठ आई है
रिक्त सिक्त आकांक्षाओं की, किंचित सी भरपाई है
उसकी ही परछाई है, जहाँ तक गहराई है.

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7 MAR 2017 AT 6:29

The purity of Heart often signifies You! as a Naive

आज भी जियूँ मैं शब्द सिंचित...
फिर क्यूँ हो गये!अब मेरे स्वर किंचित...

न कुंठित हूँ...
न भयभीत मैं!
थोड़ा सा हो गया, बस अर्धमूर्छित!

किये चिन्हित,मेरे नेक विचारों को
किया शब्दों में भी,वो!खूब वर्णित
सराहा भी हर सूक्ष्म प्रयासों को
देकर सलाम इस नादान बालक को
वो कर गये थे!कुछ यूँ महिमामंडित

फिर क्यूँ मिलता,मेरे आसंग को
टुटा डोर वही और मेरे रंजित फिर से खंडित!!!

माना सब महान हैं...
उनकी अपनी जहां है...
मैं भी तो इस जहां का वासी...
फिर मेरा कहाँ निशां है!!!!

फिर करना क्या!कुपित मैं बोल उठा...
लो जियो मुर्ख!
लेकर फिर से,वैसा ही कुछ अंजाम अर्जित
वो क्यूँ ! समझ नहीं पाते हैं
मेरा उद्देश्य नहीं,होना चर्चित...
कर किसी को आहत मूर्छित

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