. ✍️✨वृद्ध नज़र✍️✨
नज़र को क्या नज़र लग गया था जो
ठीक सब, नज़र अब, नहीं आता हमें। ...✍️✨
कमजोरी का कारण ढ़लती उम्र थी या
तनाव, यह क्यूँ समझ नहीं आता हमें? ...✍️✨
चंद अल्फाज़ों को सहेजने में सालों निकले!
अद्भुत व्यथा न व्यर्थ हैं ये कुछ मेरे पिछले। ...✍️✨
रूककर, रूक रूककर, रूकावटें मात देता हूँ।
न रोक नई राहें कभी मैं, न गलत साथ देता हूँ। ...✍️✨
लेखन बचपन से जारी था जो पेशा है अब बना,
चाहत हैं कभी आए नाम फिल्मों में, जब बना। ...✍️✨
मेहनत तो की ही है वहाँ तक पहुँचने की,
जो साकार होगा एक दिन कुछ बनने की। ...✍️✨
फक्र से जब सर ऊँचा हो तो क्या बात हो!
बताना मुश्किल है जब खुद की औकात हो! ...✍️✨
खान पान, रहन सहन, दिनचर्या में परिवर्तन
कर नजरों में खिचड़ी पकाना है बिन बर्तन। ...✍️✨
भूखी नजरें जब सेहतमंद हों तो, लेखन का मजा कुछ अज़ीज़ होगा!
बेहतरीन हो चीजें तो हसीन समां में होने का मजा भी लज़ीज़ होगा। ...✍️✨
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