QUOTES ON #उसी

#उसी quotes

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27 MAY 2019 AT 9:50

मैं किताबें पढ़ता रह गया,
उसी में उलझता रह गया,
फर्क बस इतना रह गया,
वो बस वही पढ़ा,
जो इम्तहानों में पूछा गया।।
अपनी किस्मत की डोरी में,
खुद ही उलझता रह गया।।
तज़ुर्बा तो मिला किताबों से,
मगर वो,वहीं दफ़्न रह गया,
पर बात ये भी है,
वो मंजिल पा गया,
मैं किताबों की दुनिया का,
दक्ष बन गया।।
किताबों से जब प्रेरणा मिली,
तो सबों का सलाहकार बन गया।।
मैं किताबें पढ़ता रह गया,
और उसे मंजिल मिल गया,
और मैं ज्ञान के सागर का,
तालाब रह गया।।

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16 MAY 2021 AT 18:52















हर साँस में नफ़स में फ़साना उसी का है,
कहते हैं दिल जिसे ये ठिकाना उसी का है।

उल्फ़त में छेड़ने की रिवायत उसी की है,
फिर उसपे रूठने का बहाना उसी का है।

जो आज कह रहा कि मुझे जानता नहीं,
ताखे पे मेरे ख़त वो पुराना उसी का है।

होली पे डालते हैं सभी अपने रंग पर,
मुझपे चढ़ा जो रंग सुहाना उसी का है।

ले दे के सिर्फ़ मेरा सहारा है उसके पास,
और जो है मेरे पास बयाना उसी का है।
-ऋषि 'फ़क़त'

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1 OCT 2019 AT 13:50

ये सड़क के गड्ढे भी मुझे, उसी की याद दिलाते है,

वो भी मेरी जिन्दगी में, ऐसे ही रुकावट बनती थी

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12 JUL 2020 AT 3:24


न अपनी एक बात ......
न अपनी कोई कहानी सी......
हर पन्ने पर उसका ही नाम......
हो जैसे गज़ल , कोई मुँह जु़बानी सी....
फिर याद आया , कि दास्ताँ तो बस इतनी सी थी.....
एक उसी में बिता ली , अपनी पूरी जि़न्दगानी सी......
( In Caption)

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28 JAN 2021 AT 9:52

जिम्मेदारियां भी एक इम्तेहान होती है,
जो निभाता है न उसी को परेशान करती हैं।

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25 JUL 2020 AT 1:08

उसके लिए सारी दुनिया से बगावत की थी
याद आता है मेंने भी मोहब्बत की थी।।
उसको छोड़ जब हस्ते हुए घर आकर रोये हम
तो इन आंखों ने भी हमसे बहुत शिकायत की थी।

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9 SEP 2019 AT 19:11

जिंदगी का दूसरा नाम ही है
आज के युग में
भाग - दौर
ज़रा सा क्या रूक गए
हम
जमाना भाग निकलता है
वक्त्त के साथ
ना वक्त्त थमता है
ना काम रूकता है
बस एक हम ही हैं
जो सोच लेते हैं
ज़रा रूक जाए
ये भूल कर हम की
जिंदगी भाग रही है
सिर्फ एक साँस पर
वो भी ना जाने कब तक
रूको पर इतना नहीं कि
दुनिया में हो कर भी ना हो हम सब

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23 SEP 2019 AT 9:33

जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो,
बहरों का इलाका है, ज़रा ज़ोर से बोलो।।

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21 APR 2021 AT 9:36

माफ कीजिएगा पर यू तो ना जाने कितने शख्स मिलते हैं।
कोई हम पर, तो किसी पर हम, दिल वार देते हैं।।
मिलना बिछड़ना ये तो सब किस्मत का खेल हैं।
क्यूँ ना सब उसी पर छोड़ देते हैं।।

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13 AUG 2020 AT 13:26

उसी ने घाव दिया और उसी ने मलहम लगाया
पता नहीं ये मेरे ज़िंदगी में कैसा वक्त आया।

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