एक अरसा बीता है या बीती है एक उम्र,
कब से मेरी तुम्हारी कोई बात नहीं हुई;
वो जो बीती कईं बार बस बातों ही बातों में,
जाने कब से वैसी कोई रात नहीं हुई;
भिगा जाये जो हमें एहसास-ए-मोहब्बत में,
ऐसी जम कर जो बरसे वो बरसात नहीं हुई;
हाँ जुड़ते रहे पन्ने दिल की किताब में फख्त,
मेरी-तुम्हारी कभी कोई मुलाकात नहीं हुई!
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