दिल से पुकारा था, आँखों से भी बुलाया था,
पर दूंगा आज आवाज...फिर देखा जाएगा!
आया था कई बार तेरे दर पर बिना आहट के,
दूंगा दिल पर दस्तक अब...फिर देखा जाएगा!
कितनी ही स्याही जाया की रंगीन कागजों पे,
लिखूंगा आज खत तुम्हे...फिर देखा जाएगा
मिलता हूँ रोज तुमसे तेरे ख़्वाबों ख्यालों में,
करूँगा आज मुलाकात..फिर देखा जाएगा!
देखा तुमको जी भर के और देखा चोरी चोरी,
अब होउँगा तुमसे रूबरु...फिर देखा जाएगा!
हिचक अब बहुत हुई, मेरा सब्र हुआ बेसबर,
करूँगा आज ही इजहार...फिर देखा जाएगा!
कुछ बातें है जज़्बाती, कुछ अनकहे अल्फ़ाज़,
लिख दूंगा इक किताब...फिर देखा जाएगा ! _राज सोनी
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