गूंज रहा है शोर यहां, आवाज़ों के जंगल में
फसें है हर लोग यहां, मोबाइल के चंगुल में
कैसी विपत्ति आ पहुंची, संसार अब डूब रहा
जिसे देखो पास उसके, लेकर वार्ता घूम रहा
थी खुशियां एक दिन, ना कोई डिजिटल था
रिश्ता था अटूट कभी, चारों जो विजिबल था
किधर गए गांव वाले कौन बैठा है चारपाई में
कहां हैं सब लोग यहां, जो रहते थे चटाई में
स्थिति और गंभीर हो रही, क्यों हो रहे है चूर
कौन है यहां अब अपना, हर रिश्ते हो रहे दूर
गूंज रहा है शोर यहां, आवाज़ों के जंगल में
फसें है हर लोग यहां, मोबाइल के चंगुल में
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