अब मैं चार माह की हुई, इंतज़ार है जब नौ की हो जाउंगी
खेलूंगी माँ की गोद में, झूमूंगी बाबा के प्यार में
सिमटी, सहमी, सिकुडी, मैं गर्भ में सोती रही,
दुनिया में आने के ख्वाब आँखों में संजोती रही
हूं अभी आधी अधूरी, कब बनूँगी बिटिया प्यारी
नन्ही गुड़िया कहकर वो मुझे पुकारेंगे
सोचकर मैं पुलकित होती, कितना मुझे दुलारेगे
पर मेरे बेटी होने का जब उन्हें पता चला
थोड़ी सी भी दया ना आयी, मुझे मिटाने का निर्णय कर लिया
पहले मेरा पैर काटा, फिर काटा हाथ
टुकड़े टुकड़े कर दिए मेरे, फिर ली राहत की सांस
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