आयोजन
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आयोजन भरता सदा, जीवन में रस रंग।
जन्मोत्सव हो या प्रणय, झूम उठे सब संग।।
आयोजन हो कर्म का, कर्मशील हो हाथ।
पूरे हो सब काज फिर, करे सफलता गाथ।।
श्रम बिन होता कुछ नहीं, सकल काज श्रम साध्य।
बनो कर्म योगी सभी, कर श्रम को आराध्य।।
जीवन आयोजन बने, हो साँसो का खेल।
साँस चले तो जिंदगी, रूके मौत का मेल।।
जीवन गौरव पूर्ण हो, मौत करे यशगान।
अंत समय आशीष दे, मिले 'मुक्ति' वरदान।।
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