QUOTES ON #आफिस

#आफिस quotes

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20 APR 2017 AT 23:48

चलो आज कुछ नया करते है
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23 MAR 2021 AT 5:47

मुस्कराना तो उन्हें भी पडता है शाम को
जो दिन भर उलझे थे,आफिस की फाइलों में

क्या कहें, किससे कहें, दबे हैं ख्वाहिशो तले
हर रोज लडें हैं जिंदगी की दुश्वारियों तले

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22 APR 2019 AT 18:34

आॅफिस की 'चारदीवारी' में रखा, यह उल्लेखनीय उपकरण
जाने कितने गृहस्थ जनों का करता है, पोषण - भरण..! 🖥️

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12 SEP 2020 AT 17:13

किसान का बेटा फेसबुक पे
कंगना का आॅफिस तोड़ने
पे रो रहा है और उधर बाप
कि हड्डियाँ सड़क के तोड़ी
जा रही हैं...........,
#कुरुक्षेत्र,

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23 DEC 2019 AT 9:51

एक दिन हम अपनी मर्ज़ी की 'ज़ंग' लड़ना चाहते हैं

पर आज सोमवार हैं, पहले आॅफिस जाकर आते हैं

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10 JAN 2020 AT 12:17

नहाना पकाना बनाकर के खाना,
कहाँ ठंड में रोज़ ऑफ़िस को जाना।

पकौड़े खिलाओ अगर चाय दे कर,
तभी आज कोई नया काम लाना।

कहो गोप जी को लगाएँ न छुट्टी,
पड़ी ख़ूब फ़ाइल करेंगे बहाना।

कि साहब हमारे नहीं आज हैं फिर,
सुना आज मैडम से मिलने है जाना।

नयी एक रेशम की साड़ी ख़रीदी,
कहा देखने आज लड़की को जाना।

हमें क्या पड़ी रोज़ होते हैं क़िस्से,
बचा काम अपना ये फ़ाइल बजाना,

हमारी लड़ाई बची बस है इतनी,
यहाँ चाय लाना तो सबको पिलाना।

सभी काम हमसे यहाँ रोज़ लेते,
यहाँ तक कि साहब का जाना न जाना।

अगर आज तुमने न सेवा मेरी की,
सुनो ख़ूब मुश्किल मदद फिर जताना।

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14 MAY 2022 AT 11:06

आज मूड़ नहीं है आफिस ज़ाने का,
घरपर ही मूड़ बना लेता हूँ,
रोज़ तो लोगों से बात करता हूं,
आज खुद से बात कर लेता हूं।

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27 MAY 2020 AT 14:01

मालिक वो ही , जो नौकर से पहले आफिस छोड़ दे॥

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8 JUL 2019 AT 23:44


आफिस-आफिस !

सुन लो मेरे दफ़्तरो !
तमीज़ रखना कुछ मुझ से भी,
मैं तुमसे नहीं,तुम मुझसे हो,
काग़जो़ में अपने,लिख लेना कहीं ।

मैं अपना वक्त़ तुम्हें देता हूं,
तुम देते हो,दो जून की रोटी,
मैं वक्त़ का मारा हूं, मुझे वक्त़ चाहिए,
नहीं चाहिए रोटी ।

मैं बंद दस्तावेज़ नहीं
आलमारी का तेरी,
वक्त़ करे तो भले करे,
नहीं चलेगी पाबंदी तेरी ।

काम से काम,दूर से सलाम,
बस इतना सा है तेरा-मेरा नाता,
तेरी ब्रीफकेस में बंद हो जाना,
मुझको है नहीं भाता ।

माना तेरा काम निभाना,
है जिम्मेदारी मेरी,
जीने दे थोड़ी ज़िन्दगी मुझे भी,
ये है जिम्मेदारी तेरी ।
ये है जिम्मेदारी तेरी ।।


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30 MAR 2019 AT 21:38

जिन्हें नाराजगी इस बात से थी कि,
ये दीया क्यो जल रहा है अभी तलक।
आज देखा उन्ही को, दूधिया रोशनी में
चमकते चेहरे पर पावडर लगाते हुए ।
जो कभी कदार,
हाँ ज़नाब, जो अभी कदार आ जाते थे यूँ ही टहलने ।
वही लोग आजकल ऑफिस में समय पर अगरबतिया जलाने लगे ।

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