QUOTES ON #आग

#आग quotes

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18 AUG 2019 AT 17:03

जब शब्दों की हांडी पर
दाल भात पक जाते हैं,
भावों के मांझे से
कविता की
कनकैया उड़ाते हैं,
सूखी नदी में
गीतों का
झरना नहाते हैं,
वही बोल
अमर होकर
गुलज़ार बन जाते हैं

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17 DEC 2019 AT 0:55

ये तुमने अच्छा किया...

बात करने की आस जताकर
बुझी मेरी वो आग जलाकर
मुझको आधी-रात जगाकर
ख्वाबों की उस मुलाकात को
आज भी मेरी सुनसान रात को
अपने आने की...
आहटों के...
इंतज़ार से...
भर दिया...
ये तुमने अच्छा किया...

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17 JUN 2019 AT 16:18

विरह
आग है
जिसमें शरीर नहीं जलता
जलती है तो केवल आत्मा
दो आत्माओं के मिलन से बना रिश्ता
जब आख़िरी साँस लेता है
तो बिलख पड़ता है आसमान
रो देती है धरती
और शोक में डूब जाता है पूरा ब्रह्मांड
विरह
हलाहल(विष) है
जो गले में ही कहीं अटका रहता है
जिसे निगला नहीं जा सकता
और उगलना भी मुश्किल होता है
जब विरह वेदना
चरम पर पहुँच जाती है
तब नर्म सा हृदय कठोर बनने लगता है
और फिर अंत हो जाता है
संयोग-वियोग के इस खेल का

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4 NOV 2019 AT 14:50

मेरा दिल मोम सा...
उसके इरादे आग से...

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7 SEP 2020 AT 19:02

खबरों ने अखबारों को भर दिया जहर से
कागज को कलम की आग ने जला दिया

सुकून और पैसे की बनती नहीं अब
लोगों ने फंदे से खुद गला जला दिया

इंसानियत की रोटी कच्ची रहती है
हवस ने नवजात चूल्हा जला दिया

शैतानों से डरने का दौर नहीं ये
आपसी आग ने पानी जला दिया

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12 MAY 2019 AT 1:15

लौट आओ तुम अपनी दुनिया में
जिसे हम दोनों ने मिल कर बनाई है
जानती हूं जिस दुनिया मे हो
वहाँ खुश नही।।।।
मजबूरी का नाम देकर
खुद को मत जलाओ उस आग में
जहाँ ना जाने कितनी साजिशें रची जाती है
हमारे खिलाफ हर दिन।।।।
जानती हूं बेखबर हो तुम हर उस बात से
जो तुम कभी सपने में भी नही सोच सकते
मगर जिस दिन सच का पर्दा उठेगा मानो
तुम्हारे पैरो तले ज़मीन खिसक जायेगी....
अभी भी वक़्त है सम्भल जाओ....


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15 MAY 2018 AT 7:17

हर बार दुआ ही दवा बने ज़रूरी नही
आग लगें और धुँआ उठे ज़रूरी नही

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9 JAN 2019 AT 20:26

आतिश-ज़नो से कहो आग लगा आयें किसी महल में
सुना है ग़रीब की झोंपड़ी में आज ठंड बहुत है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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27 MAY 2019 AT 23:01

कर्मों की क्रिया चलती है
जब साँसे नहीं चलती हैं
क्रिया-कर्म की बात चलती है!

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15 DEC 2019 AT 8:27

दुनियादारी में भले ही दिन गुज़ारे तुमने
चाहे कितनों से क्यों न लिए सहारे तुमने

जो आग है अंदर उसको बुझने मत देना
दुनिया के देखे नहीं हैं अभी नज़ारे तुमने

हँसकर सुनाना सभी को दर्द-ए-ज़िन्दगी
भले ही अंदर क्यों न भरे हों अंगारे तुमने

तुम्हारी दुआओं का असर होगा नहीं इन्हें
शायद देखे नहीं पीठ पीछे के इशारे तुमने

अकेले चला लो सपनों की गाड़ी "आरिफ़"
रोक ही देंगे अगर ईंधन इनके पुकारे तुमने

"कोरा काग़ज़" है ज़िन्दगी लिखते चलो तुम
कलम अगर जब ले ही लिए हैं दुलारे तुमने

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