दिल में है जो दर्द जुबां पर क्यों नहीं आता रात है काली है स्वप्न हम को डराता अब कोई अपना बचाने क्यों नहीं आता बह गया दरिया मेरी आंखों के सागर से जो याद थी उनकी भुलाना नहीं आता पढ़ सको तो पढ़ लो तुम ज़िन्दगी की परिभाषा। अश्कों को छुपाए हम सुनहरा दिन नहीं आता