तू नदी, मैं धारा बन जाऊं,
तू चंदा, मैं तारा बन जाऊं ।
तू सोये, मैं ख्वाब बन जाऊं,
तू नशा, मैं शराब बन जाऊं ।
तू पूछे, मैं जवाब बन जाऊं,
तू पढ़े, मैं किताब बन जाऊं ।
गर रह गई हो कोई कमी तो,
तू मांगे, मैं बेहिसाब बन जाऊं
चल फूलों की बगिया बनाए,
तू खुशबू, मैं गुलाब बन जाऊं ।
तू ख्वाहिश, मैं चाहत बन जाऊं,
तू मरहम, मैं राहत बन जाऊं ।
तू धरती, मैं आकाश बन जाऊं,
तू किरण, मैं प्रकाश बन जाऊं
जो बनाया गया फिर तुझे,
तो मैं अपने आप बन जाऊं ।।
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