QUOTES ON #YQUOTESBABA

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11 MAY 2021 AT 23:30

मैं झुक नहीं सकता,
मैं शौर्य का अखंड भाग हूं,
जला दे जो दुश्मनों की रूह तक,
"मैं वही ( पंडित )की औलाद हूं,

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5 JAN 2020 AT 20:51

तमाशा-ए-ज़िन्दगी सें मुल्क़ सारा हैरान हैं
बस हमारें वक्त की नुमाइश की सही पहचान हैं

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23 OCT 2018 AT 10:14

चलो आज ज़िन्दगी को जीते है
चलो आज नई शुरुआत करते है
मन में नई उमंगों का संचार करते है
आशा की तरंगों का विस्तार करते है
हर क्षण को हॅ़ंसकर कर जीते है
चलो आज दुख को सुख में बदलते हैं
मरने के बाद रखे याद दुनिया
ऐसा कुछ कार्य करते है
हो नाम अमिट सबके ह्रदय पर अपना
ऐसा कुछ अविस्मरणीय सा करते है
जैसे रजनी के अन्धकार को त्यागता सूरज
रोज जग में नई रौशनी भरता है
ऐसे ही मन का अन्धकार दूर करके
आशा के उजाले से हृदय को अपने रोशन करते है
चलो एक नए जीवन की शुरुआत करते है
जो बीत गया वो एक अतीत है
क्यों उसको याद करके वर्तमान भी खराब करते है
चलो आने वाले कल का हॅ़ंसकर स्वागत करते है
चलो एक नए परिवर्तन का प्रारंभ करते है।।




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14 OCT 2021 AT 15:44

Bachpan ke din aise gujrate hai
Jissmein na gumo ka dard ho
Na kisi ko gussa hone par manane ka niyam ho....
Uss time main jeene ka bus honour ho.......

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3 MAR 2021 AT 9:54

"Talk wisely,sometimes our words can hurt someone that we doesn't mean"

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27 SEP 2020 AT 12:04

मेरी आंखों में छिपे हैं सब राज मेरे,, लोग समझते मैं बोलता कम हूं
एक मुस्कुराहट में हो जाता है सब कुछ बयां, इसलिए अब हंसता कम हूं

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29 DEC 2019 AT 14:56

वो हमेशा कहते थे, दोस्त है और क्या खूब दोस्ती निभाई ....
हाथ मे महबूब के हाथ आते ही, इस वक़्त नही मिल सकते थे कह कर के, दोस्ती सारी भुलाई...

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18 JUL 2020 AT 17:33

"शब्द बन के जब आप अपनी कविताओं मे घूमते हैं,
लोगो को नहीं पता होता इसको लिखते कौन है,
क्या हुआ अगर इसे पढ़ने वाले ना जाने,
फिर भी हम उन कविताओं के शब्दों मे जीया करते है,
जिसे लोग हमें गुमनाम ही पढ़ा करते हैं,
अच्छा लगता है कभी-कभी गुमनाम मे भी रहना..
कुछ इस तरह हम अपनी कविताओं मे जीया करते हैं..."

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8 MAY 2019 AT 8:31

Its note to myself,
Its needed to renew yourself,
Get ready,
To enjoy har pal...

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17 JUL 2020 AT 13:22

"वही लोग वही सड़के लेकिन
ना जाने कँहा गई वो सब बातें,
पहले जो सड़के बोला करती थी
अब वो सन्नाटो से गुजरा करती हैं,
ना जाने कँहा खो गई वो जाके
जो दिन रात किया करती थी आवाजे,
लोग घरों मे कैद हो गए
लगता हैं जैसे पिंजड़ो मे हो गए
अगर जीवन को बचाना है तो ये
कैद मे रहना भी जरूरी हैं
बस कुछ दिन की बात है
थोड़ा अपनों के संग जीना भी जरूरी है
एक वक़्त था जब अपनों के लिए वक़्त ना था,
और एक वक़्त अब है जो लगता वक़्त वक़्त को ही काटता है "

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