QUOTES ON #YQRAJ

#yqraj quotes

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12 MAY 2020 AT 15:40

The thief made his way inside the tiny living room, after he was done with lock on the main door. The room seemed hardly preciously endowed and the only considerable valuable it had was an antique wall clock. The antique wall clock found its way inside the sack, as the sly thief made his way inside the next room. This room, too, didn’t seem to have anything worthy of being stolen and, as he moved about, he found nothing, except for a couple of fancy toys, lying here and there. Being the kind of thief he was, he wasted not a second to put some of them inside his sack.

He was still greedy to steal a few more things, so that he could clear some of his debts. As he went into the third room of the house, he saw a mother sleeping just beside her daughter; the mother seemed sickeningly thin. He was putting a purse within his heavy sack, when he was distracted by a half open
drawer by the mother’s side of the bed. Upon concentrating a
little harder, he saw it contained a gold necklace and a white
cotton saree. It didn’t take him too long to realize that the house
he was robbing that night was of a widow and a fatherless
daughter.

(continued in caption)

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17 APR 2019 AT 9:56

ख़ुद से ही...हूँ ग़ैर , हाँ...तेरे बग़ैर...!

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20 JUN 2019 AT 22:13

एक, राज है, दिल में, दफन..
एक, बात है, इस, जुबां में बंद...
ओ ---अजनबी कहां है तू ......?
बातें करना चाहूं मैं, सिर्फ तेरे सन्ग...

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10 OCT 2019 AT 11:33

तू मेरे जीने की चाहत और तू ही,
हर सफलता की वजह बन जा!

तू बन जा मेरी जिंदगी और तू ही,
मेरे हर दर्द की दवा बन जा!...

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6 OCT 2019 AT 15:53

कभी सुकून से मिलना मुझे तब तुम्हें यकीन होगा,
कि मेरे संग गुज़ारा हुआ तुम्हारा हर लम्हा बहुत हसीन होगा।

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8 OCT 2019 AT 8:52

तेरे अक्श को जानेंगे कैसे?
तू ही बता तुझे पहचानेंगे कैसे?

जिसने बदली ली हो अपनी शक्सियत मोहब्बत में,
आखिर फिर उसे खुदा मानेंगे कैसे?

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28 MAY 2020 AT 10:09

सकून मिलता है जब उनसे बात होती है,
हज़ार रातों में वो एक रात होती है,
निगाह उठाकर जब देखते हैं वो मेरी तरफ,
मेरे लिए वो ही पल पूरी कायनात होती है।

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23 APR 2019 AT 16:44

देखा है जीवन में कई गरीबों को ऐसे भी जो आधी रोटी पाकर भी संतुष्ट हो महकते हुए...
और कुछ अमीरों को ऐसे भी जो पूरी रोटी होने के बावजूद भी दूसरे की रोटी भी पाने की चाह में....???

बहकते हुए...
लपकते हुए...
झपटते हुए...
झगड़ते हुए...
हड़पते हुए...
बिछड़ते हुए...
बिखरते हुए...
गिरते हुए...
हाँ..मरते हुए...

और भी ना जाने क्या-क्या करते हुए...!!!

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14 FEB 2019 AT 13:13

मेरी सांसे हो
तुम बिन
ज़िन्दगी नहीं मेरी सनम

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5 MAY 2020 AT 13:00

मुद्दतों से तुम्हें अपनी कविताओं में ढूंढनें का प्रयत्न कर रहा हूँ...
दिल में तो आती हों तुम पर,
जाने क्यों मेरी कविताओं में नहीं समाती हों तुम...
लगता हैं "शायद"
तुम दोनों ही मुझे बेइंतहा तो चाहती हो,
पर मेरे ही कारण एक दूजे से कतराती हों तुम...
के या फिर मुझे ही...
तुम दोनों का आपस में परिचय करवाते नहीं आ रहा हैं...?
हाँ शायद जीवन की आपा-धापी के मध्य मेरी विडंबना समझ जाती हो तुम...
या फिर भावनाओं को जता नहीं पाता मैं,
सोच बस खुद में ही सिमट जाती हो तुम...
फिर भी हालातों से रूठ-रूठ, हाँ भीतर ही भीतर टूट-टूट...
शायद मेरी जिम्मेदारीयों के निर्वहन में ही प्रेम मेरा समझ जाती हो तुम...
तो क्या हुआ ग़र भावनाओं को शब्दों का आश्रय ना मिलें...
हाँ परिवार की गुत्थम-गुत्था के बीच,
मेरी खुशियों से ही अपनी खुशियों को सींच...
मुरझाने नहीं देती हो तुम अगाध,
अतुलनीय व अलौकिक अपने प्रेम और अपनत्व का बीज...
हाँ ऐसा है प्यार तुम्हारा हमारा...तो फिर...क्यों हो शब्दों का सहारा...
हाँ नि:शब्द से हमारे प्रेम की पराकाष्ठा...
क्यों कर करे दिखावें के शब्दों पर आस्था...

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