तू आदि है,
तू अनन्तहै,
सृष्टि के केन्द्र मे बसा तेरा तंत्र है
तू अजेय तू अमर है
तेरी ममता की छांव में चलता सृष्टि का चक्र है
तू न हिन्दू है ,न मुस्लिम,न सिख,न ईसाई
तू तो खुद एक धर्म है, मां की ममता ,भाई का प्यार ,
अर्धागनी का रुप करती स्वीकार
तू ने किया मानव जाति का उपकार
तू न मजहब है न भगवान
तू खुद मे ही शक्तिवान है
मंदिर ,मस्जिद, गुरुद्वारे की पहचान ।
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