अपने दिल को समझाए या कोई उसे बहाने दें
इश्क सिखाए इश्क करें उससे या यूंही जाने दें
न जाने क्या चल रहा है उसके दिल वो जाने
खुद में खोने का मौका दें या मुझे भुलाने दें
लफ़्ज़ों का सुरूर कम होगा मदहोश होने को
आंखों से उतार दें या चढ़ाने को मयखाने दें
चांद तारों की बातें तो हमसे भी नहीं होती यार
हकीकत पसंद आती है तो क्यूं झूठे फसाने दें
एहसास-ए-समंदर मिलता है इश्क-ए-समंदर में डूब के
इश्क-ए-समंदर में डुबाए या किनारों पर नहाने दें
नये एहसास नये जज़्बात सब नया नया सा है
ग़ज़ल शायरी नये शेर कहें क्यू सुना पुराने दें
जितनी हकीकत है उतना ही बताना अच्छा है
अपनी और उसकी आंखों को क्यूं सपने सुहाने दें
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