बारहा मुझको आज़माने लगी है,
यादे मुझ पे हक़ जताने लगी है,
बे-दस्त-ओ-पा करके छोड़ेगी एक दिन,
ये यादे मुझे पिघलाने लगी है,
अपने ही मकान में हु मेहमान सा ठहरा
मकीं तो हु पर ला-मकां बताने लगी है,
दिल मेरा परेशान है तुझको खो कर,
और रूह तन्हाई पा कर मुस्कुराने लगी है,
बारहा मुझको आज़माने लगी है,
ये यादे मुझे पिघलाने लगी है।
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