QUOTES ON #VIOLENCE

#violence quotes

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7 JUN 2019 AT 15:56

कुछ हाथ इतने कमज़ोर होते हैं,
कि सिर्फ़ औरतों पर उठते हैं।

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17 JAN 2018 AT 23:08

Violence is never
domestic,
It roars wild
where everyday
she serves dinner
to the carnivore
in a porcelain
made out of her
broken bones.

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18 JAN 2023 AT 19:07

He is nice.
He is just drunk now.
He cares about me.
He is just lost somewhere now.
He doesn't beat me.
He just loses his temper every then and now.
He takes me to parties.
He just takes extra care of my make up now.
He loves music.
He just composes new melodies at our home now.

I am happy.
I just don't compare things with the past now.
I am not enjoying.
I am barely alive
for now...

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4 JUN 2020 AT 1:39

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20 APR 2020 AT 16:00

सच है
भीड़ की
कोई शक्ल नहीं होती।
आवाज़ नहीं होती।
ना ही होती है रीढ़।

घर में उठने वाले
चित्त और बुद्धि रहित
हजारों हाथ पैर
बाहर आ कर भीड़ कहलाते हैं।

- सुप्रिया मिश्रा

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19 MAR 2019 AT 18:07

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30 MAR 2021 AT 13:47

कैसे गुज़र करे कोई इंसान यहां ये मज़हबी दौर है
छाई है वहशत हर तरफ़ चौराहों पर उमड़ा शौर है

ज़फ़र लुट रही इंसानियत क्यूं मज़हब के नाम पर
किसे दोष दे कोई भला यहां सब अपने ही चोर है

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21 JAN 2019 AT 18:03

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18 FEB 2019 AT 18:08

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3 MAY 2019 AT 11:06

माँ बाबा की परी थी मैं।
फूलों की तरह पली बड़ी थी मैं।
मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर बनी रहती थीं।
हमेशा नाचती गाती खिली -खिली सी रहती थी।
फिर एक दिन माँ बाबा ने मुझे विदा किया।
उस इंसान ने कुछ दिन बाद
अपना असली रूप दिखा ही दिया।
ऐसा लगता था जैसे जीते जी
उसने मुझे मार ही दिया।
वो मारता
था मुझे,
और में चुप चाप मार खाती थी।
हर पल अपनी किस्मत को
कोसती रोती रहती थी।
फिर एक दिन ये
खामोशी मेने तोड़ दी।
हिम्मत की और अपनी ताकत उसे बता ही दी।
आज वो कैदी है , और अपने पापों
की सज़ा भुगत रहा है।
आज मैं खुले पंछी की तर
अपनी किस्मत लिख रही हूं।
नाज़ है मुझे मैने जो हिम्मत दिखाई।
हेवान्यत को उसकी असली जगह बताई।

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