"विजयादशमी का दिन"
आज 'पाप' पर 'पुण्य' के 'विजय' का 'दिन' है,
'अन्याय' का 'न्याय' से 'पराजय' का 'दिन' है|1|
क्यों बस आज के दिन ही जलाया जाता है रावण,
पाप का अंत तो 'अभि' हर दिन होने वाला दिन है|2|
क्यों जो धनी हैं वो एकदम अछूता है आर्थिक मंदी से,
क्यों बस वहीं बेबस-लाचार हैं जो कमजोर-दीन है|3|
जो यहाँ मेहनत करता है वो बस पसीना बहाता हैं,
और जो करता बेईमानी उड़की दुनिया हसीन है|4|
क्यों हम उस दशानन को ही जलाते हैं हर साल,
क्यों अपने अंदर के रावण को छिपाने में हम लीन हैं|5|
थी सुरक्षित सीता रावण की वाटिका में अकेली भी,
पर आज तो अपने घर में बेटियाँ भयभीत-गमगीन हैं|6|
कहने को तो है रामराज हमारे इस कथित समाज में,
लेकिन आज भी धड़ल्ले से हो रहे यहाँ कांड संगीन है|7|
मना लो तुम विजयादशमी का त्यौहार मन मारकर,
मेरे लिए तो हर दिन इंतज़ार ए इंकलाब का दिन है|8|
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