सबसे बदकिस्मत होती हैं
वो सड़कें जो सुनती हैं,
किसी औरत, किसी लड़की, किसी बच्ची
की ओर बढ़ती
अंधेरेे के किसी कोने की अश्लील आवाज़ें।
वो आवाज़ें जिनकी कोई शक्ल नहीं है,
बस एक एहसास है,
एक घिनौना एहसास।
जो देख लेती हैं आदमियों का बे - आबरू होना।
जो इतना कुछ सुनने और देखने पर भी
टूट कर बिखर नहीं जाती।
जो करती हैं बस वही जो वो कर सकती हैं।
ये सड़कें शहर बना लेती हैं
समाज नहीं बना पाती।
- सुप्रिया मिश्रा
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