कभी हँसते हँसते रो देना,कभी तेरे लफ्जों मे ख़ुद को ढूंढ लेना
बेफ़िक्री की यारीयां अब दर्द की साझेदारियां होगयीं
कहीं जमाने ने मुझे सताया है,कहीं अपनों ने तुम्हे ठुकराया है
कभी विश्वास तेरा टूटा है, कभी सर्वस्व मेरा लूटा है
दर्द वह तेरा भी बुरा था, जख्म वह मेरा भी गहरा है
सिरहाना तेरा भी भींगा था, दामन मैने भी सिंचा है
दर्द का नशा भी अज़ीब है, जो तेरा दर्द मैं जीना चाहती हूँ
लत लगी है आँसुओ की, जो तेरे पलकों से पीना चाहती हूँ
रिश्ता यह बेनाम ही सही, पर इसे निभाना चाहती हूँ
तेरे आँसुओं को बना कर अपना, तुझ मे मुस्कान भरना चाहती हूँ
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