कह सकते थे न जो मै सुनना चाहती थी। जानते थे न कितना प्यार करती हूँ फिर भी नही बोला क्यों तुम ही वो थे ना जिसने मुझे मुझसे मिलवाया था भूल गए न। क्यों तुम भी तो रोक सकते थे न रिश्ता तो हमारा था न तुम भी तो kah सकते थे न जो मैं सुनना चाहती थी
हमारी बुराइयां करते करते थक जाओगे जनाब... और हम न किसी के हाथ आएं हैं... और न कभी किसी के हाथ आएंगे ... तुम हम से ऐसे ही जलते जलते राख बन जाओगे जनाब....