बादल छाएं हुए है,भरी गर्मी के दिनों में शीतलता कुछ सुहावनी सी है,
कई भवन बेजाऱ से है शायद कोई रहता नही इनमें,
नया टोल-टैक्स बनाया जा रहा है,
दुकानें भी काफ़ी बेजाऱ सी है मानो मुनाफे को मुद्रास्फीति निगल गई हो,
पेट्रोल पम्प भी है रास्ते में,
राजस्थानी व्यंजन हेतु सांगरी भी लगने लगी है,
खिपोळी भी कहीं-कहीं दिख रही है,
खेतों में छोटे-छोटे कृत्रिम तालाब बनाए हुए हैं ,
पशु-आहार,ग्रेनाइट ,आटो-पार्टस की भी दुकाने है,
खेतों के चारो तरफ धातु के तारों की तारबंदी की गई है,जगह-जगह शीतल पानी की प्याऊ है,
नाई व ई-मित्र की भी दुकानें है,
तारकोल की पक्की सङके बनी हुई हुई है,
हाई-वोल्टेज विद्युत लाईन भी खेतों से गुजर रही है ,
कहीं-कहीं भवन निर्माण का कार्य चल रहा है तो कहीं आधे भवन बनाकर छोङ रखे है,
परिवहन सेवा यदा-कदा ही है,
छोटा बाजार है खुङ रास्ते में आया है ,
हाल ही नगरपालिका बना है ,
यह परिवहन सेवा के लिए एक त्रिआयामी जंक्शन सा है,यहाँ से जोधपुर,उदयपुर,नागौर,अजमेर,कुचामन ,जयपुर आदि के लिए बसें गुजरती है,
बारिश वाला मौसम है ,
खेतों में किसानों ने कही-कहीं-कहीं जुताई भी कर दी है,छिन्न-भिन्न ईंट उद्योग भी है इधर ,
भेङ-बकरी,गाय-भैंस ,ऊट आदि पशुपालन है यहाँ,
मकान सीमेंट के बने है,शहीद स्मारक भी आए है कही-कही,एक बङा सा कबाङीखाना भी दिखा है,
कहीं -कहीं आम,बरगद,पीपल के पेङ भी दिखें है।
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