तुम यूँ मिले की कारवां सफर बन गया।
चंद वक्त के लिए ही सही तू हमसफर बन गया।।
नोंक-झोंक, रूठना मनाना, आम किस्सा है जिदंगी का,
पर क्या यह सही है यूं वक्त गवाने का?
आओ अपनाए आदतें, कुछ मन से कुछ अनमनें,
कुछ मै समझु या शायद ज्यादा तुम समझो,
पर गुस्सा छोडो और माफ भी करो,
कातिलाना है यह चुप्पी, क्या यह तुम्हे भी नही चुभती?
सपनों सा और सपनो का सफर है यही।
चलो, फिर से शुरूआत करे नई।
-