वो तुझ में जी उठती है संग तेरे महक उठती है ना होकर भी साथ तेरे हर लम्हा वो संग रहती है कुछ तोङी सी कुछ मरोङी सी वो कुछ अधूरी सी बातें कहती है तू मानता उसको कहता पागल पर वो तो इस पर भी खुश हो लेती है अपने जीवन के सपने वो तेरे संग संजो लेती है एक स्त्री हर हाल में खुश हो लेती है तकलीफों से डट लेती है बिन कहे सब सह लेती है बहुत ज्यादा जब वो खुश होती तो थोङा सा रो लेती है ।