बंद आँखों को भी देखना आता है,
रोशनी को भी अंधेरों के रास्ते पता है।
पता तो अनजान भी ढूंढ लेते है,
जानने वालों को भी बेखबर रहना आता है।।
ख्वाइशों का मंज़र अधूरा रहना लाजिमी है,
अधूरे मंज़र पर अगर चलना आता है।।।
हाथों की लकीरों में कलम चलाना आता है???
तकदीर को खेलना तो आता है ,,,,
धुंधली गलियों को भी रोशनी के संग चलना आता है,,
पर क्या तुम्हें काटों की राहों पर चलना आता है???
और फिर चलते-चलते,,,,,
अपने पाँव से कांटे निकालना आता है?????
-