समय का पहिया, बिना रुके,
चल रहा अपनी रफ्तार से,
झूमता, उछलता दौड़ रहा है,
कभी धीरे कभी पंख लगा कर।
मैं भी दौड़ रहा हूं साथ साथ,
कभी समय के पहिए पर,
कभी समय के पहिए के नीचे।
कोई दौड़ नहीं प्रतिद्वंदी नही,
हम दोनों ही सहयात्री हैं,
बस रफ्तार अलग हैं दोनों की,
उसी का सामंजस्य बाकी है।
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