थी मैं गुमसुम, ख्यालों में खोई,
ध्यान टूटा जब एक आहट हुई!
ये तो तुम थी, मेरी बिटिया दुलारी,
छोटे-छोटेे कदमों से पहली बार...
धीरे-धीरे चलकर मेरे करीब आती!
हो गयी थी मैं बहुत भावभिवोर,
तुम्हें खुद चलकर आता देख अपनी ओर!
नही कर सकती हूँ मैं बयां,
शब्दों में उस अहसास को!
था जाने कबसे इंतज़ार,
इस पल का मेरी अँखियों को!
अपनी नन्ही हथेली में थामकर मेरा आंचल,
तुमने पुकारा मुझे म म मम्मा....
और मटकाई अपनी नन्ही अँखियां!
लग रही थी तुम कितनी प्यारी,
मेरी छोटी सी सबसे सुंदर गुड़िया!
पापा दोस्त को आता देख,
अब तुम चल पड़ी थी उनकी ओर...
देख तुम्हारा ये रूप मनमोहक,
नही था उनकी भी खुशी का ठिकाना!
नन्हे पैरों के पायल की झंकार से,
गूंज रहा था अब हमारा घर-अंगना!
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