"आसमां से वो"
इस सुबह की पहली किरण से,
हीरे सा चमकने लगा आपका मुखड़ा।
वो तारे भी टूटने लगे,
जब इन रातों मैं दिखी आपकी वो अदा।
एक एहसास ने आसमां को भर दिया,
उस एहसास से तो मेरा हर गम भी सुधर गया।
आप दिखी नहीं जो इस श्याम में,
तो ये चाँद भी दिखता कहाँ है।
अब तो सिर्फ आपके से,
ये अमावस भी पूनम बन जाता है।
एक चेहरा जो दिखता है सपनों में,
छुपा है शायद वो इन बादलों में,
अगर दिन से टूटे जाएगा ये सपना,
तो खोया हि रह जाओं इन रातों में।
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