वो मुझे अब भी इतना चाहती है
मेरा उसके प्रोफाइल में छुप छुप के झांकना
रीसेंट विज़िटर में मेरा नाम देखकर वो
अब भी इतरा जाती है
वो बस ख़ुश है
मैं उसे याद करता हु
दरमिया गलतिया मजबूरियां
जो भी हो बस चाहत मैं उसकी
आज भी रखता हु
पा वो ना सकी अकेले
ऐसा नहीं
दर्द जो उसके सीने में है
मैं भी अपने पास रखता हु
कुछ इस तरह हम दोनों
हमसफ़र ना बन सके
मगर हमदर्द जरूर है
बस कसक एक थी
की शायद बस ये मेरा क़सूर है
-