सूर्य
तुम्हें घेर मेघ बैठे हैं तत्पर,
मैं भी बैठी देखूं छत पर,
तुम लड़कर जो आगे भागे,
चुप-चुप कर घन भी चले आऐं,
जाओ अब तारे हैं आए,
तुमसे वह बड़े हैं घबराऐ,
कहते हैं बड़ा तेज तुम्हारा,
चंदा है सरदार हमारा,
वह भी तुमसे डरता भाई,
पर उजियारी तुम्ही ने दिलाई,
तुम तो प्रातः ही चले आते,
रात्रि को तुम किधर खो जाते,
कभी आशा कभी लू ले आते सूर्य, प्रभाकर, सूरज कहलाते।
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