कह दें मुझे ;की क्यों न चाहूँ तुझे!!
ये हसीं चेहरा और तेरी जुल्फों का सेहरा भुलाऊँ कैसे ।।
यूँ कम मुस्कराना और चेहरे पर तेरे हमेशा सादगी का रहना
।
बता दे मुझे भुलाऊँ तो भुलाऊँ कैसे।
तू चाँद तो उस पर लगा दाग़ हूँ मैं।।
तू सुबह तो शाम हूँ मैं ।।तू ही तो अब मेरा हँसना ओर तू ही मेरा रोना।
तू ही मन्दिर और माजिद की इबादत भी तू ही।
तू ही मेरा जहाँ और इस जहाँ की क़यामत भी तू।।
अब तू ही बता दे की क्यों न चाहूँ तुझे।।
ईमान भी तू और धर्म भी तू।।
जो मांगी हर दुआ मे ;वो मन्नत भी तू।।
मेरी जन्दगी की ख्वाहिस और जन्नत भी तू!!
कह दे मुझे की क्यों न कि चाहूँ तुझे!!!
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