ऐ खुदा,
किसी दिन जब इस दुनिया से रुखसत लेकर
तेरी उस दुनिया में कदम रखेंगे,
पहचान जाएगा ना तू इस शक्स को
अपने करोड़ो बन्दों में से?
ऐ खुदा,
वो पल जब भी आएगा,
इस झूठी पहचान को ढकने के लिए
कफ्न ओढ़ा जाएगा,
पर उससे पहले ये जो
लम्हे बीते जा रहे हैं,
क्या उन में कहीं हम भी
इंसानों जैसा पेश आ रहे हैं?
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