क्या बुरा है क्या भला मुझे कुछ पता नहीं,
तुमसे दिल लगा बैठे तो इसमें कोई ख़ता नहींl
तुमसे दिल की बात करें भी तो करें कैसे,
तू मुझसे मतलब के सिवा और बात करता नहींl
होता है तू मेरे रू-ब-रू हर रोज़ मगर,
तू मुझसे मेरा हाल एक बार क्यूँ पूछता नहींl
यूँ बैठ जाना तेरा मेरे बाजू में आ कर,
चाहूँ जितना मगर वो लम्हा वहाँ ठहरता नहींl
जो सीने में है वो राज़ बताना चहता हूँ,
तुझे पड़ी होगी ज़माने की, मैं किसी से डरता नहींI
मुझे बस परवाह है तो तेरी वरना मेरा क्या,
तेरे ख़ातिर मैं सर-ए-'आम तेरा चर्चा करता नहींl
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