_वह कमबख़्त शहर_
उस ज़ालिम के आगोश में
वह चीख़ उठी !
मानाे उसके बदन से कुछ
टूट गिरा हो !
थाने में फिर एक हंसी
बुलंद हुई !
उसकी नुमाइश करते हुए
सड़कों पर भीड़ उमड़ी हुई है !
अखबारों में वह छायी हुई है ,
जिनमें उसके किस्से छप रहे हैं !
तालिमदार एक - एक पैसे में ,
खब़र बेच रहें हैं !
उसका बचा-खुचा जिस्म ,
बड़ी बेदर्दी से नोच रहे हैं !
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