आज रिंकू बड़ा हो गया है महानगर में रहता है, अब कुहासा पड़े या बाढ़ आए वो किसी से जिद नहीं करता चुपचाप दफ्तर चल देता है.
ब्रेड बटर का नाश्ता रोज ही करता है पर उन सत्तू के पराठों के लिए तरसता रहता है जिनसे वो बचपन में भागा करता था “अम्मा के हाथ के सत्तू के पराठें”.
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