भोली सी सजनी, प्यारा सा साजन
द्वार खड़े एकटक नैन निहारें
कभी मुस्कावें तो वो कभी शरमाएँ
देखी प्रीतम मुख फिर हरसावें
हाथ थाम सजनी कहती है प्रियवर
दूर ना जाओ अब तुम पलभर
प्रेमविवश अति भाव विभोर साजन
कहे,,, प्रिय तुम हृदय बसी हो
जिस्म अलग हों ये चाहे, प्यारी पर
सांसें तुम्हारे दिल ही बसी हैं
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