मै तुम्हे आव्हन करुँगी
करुण की उस बेला मे
जब मै धरा पर चिरनिंद्रा की
तरह फैलने लगूंगी
और सिमटने लगूंगी उस पीड़ा अन्दर
जहाँ सिर्फ अँधेरा होता है उस
आकाशगँगा के काली गुफा की तरह
जो इतनी ताकतवर है की
हर प्रेम, हर उम्माद को
अपनी तरफ खींच करुणा
मे बदल देता है
तब तुम प्रेम का संचार करना
एक स्फूर्ति, जो मुझे कठोर, स्तम्भ
बनाने मे हिम्मत देगी
क्योंकि मै खड़ी हु वहाँ
जहाँ स्मृतियाँ टूटती है
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