"इक तसल्ली सी मिल गयी आज,
हां तुम सच में चले गये...
चलो आज सही,बतला भी दिया,
पागल दिल को समझा भी दिया;
हर रोज़ तकल्लुफ करता था,
मुझ से लड़ता रहता था,
सपनें दिखलाता था खुद ही खुद को,
बेवजह सा तुम पर मरता था।
चलो आज सही बतला भी दिया,वरना
ये बच्चा यूं ही बना रहता,
जाने कितने और सपने बुनता।
कैसे कह दु इस को खुशी....
पर गम भी तो न लगता है
हां लेकिन कैसे भूलूं ये दिल आज ही टूटा है।"
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