कहते हैं कभी कभी कोई इन्सान से हमें तो कई चीजों से हम रूबरू होते हैं।
ऐसी ही एक वाकया मेरे साथ हुआ, जब किसी काम से रोड पर गया था और मैं उस तरफ जाने ही वाला था कि मुझे किसी की मजबूत पकड़ का अहसास हुआ और जैसे ही मैं पीछे की और मुड़ा.
एक बुजुर्ग लम्बी ढाडी और फटे कपड़े पहने हुए थे।
मैंने पूछा क्या बात है बाबा..?
उन्होंने कहा-दस रूपए मिलेंगे क्या..
मैंने कहा बाबा आप कुछ खाओगे तो बोलो लेकिन पैसे नहीं दे सकता हूँ..
उन्होंने कहा की यही फर्क हैं गाँव और शहर के लोगों में।।
मैं चकित हुआ की बाबा क्या कहना चाहते हैं और उत्सकुता वश पूछ लिया, आप कहना क्या चाहते हैं कृपया खुलकर कहें..
उसके बाद जो उन्होंने कहा मैं खुद को गौरांवित महसूस करने लगा और मैं उनको पैसे देते हुए अपने घर की तरफ फक्र के साथ चल पड़ा।
बाबा ने कहा की बेटा गाँव के लोग जिन्दगी देते हैं और शहर के लोग मौत..क्यूंकि गाँव में कोई लोगआपको खाना खिलाकर जिन्दगी देते हैं और शहर में लोग पैसे देकर मौत की दावत..मैं कई लोगों से कहा पैसे दो मुझे सिगरेट पीनी है लेकिन कोई नहीं मिला मुझे परन्तु शहर के लोग बिन जाने समझे पैसे दे देते हैं..यही फर्क गाँव और शहर वालों में जो एक बच्चा को नेक दिल बनाता है।
मैंने भी मन ही मन खुद को गाँव वाला समझकर बेकार समझता था परन्तु बाबा ने हमारी सोच की उन्सुल्झी गाँठ को खोल दिया।
अंत में मैंने कहा बहुत बहुत धन्यवाद ।
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