***HAPPY ROSE DAY...🌹
ख़ामोश बैठी गजल को अल्फाज़ दे आई,
आज एक गुलाब को गुलाब दे आई....
उसके लब्जो गुलाब के पांकखुड़ी के तरह थे,
जो जिस्म से छू के शबाब सा बन जाए....
यूं ऐसा न छेड़ो हमे हम गुलाब सा ना बन जाए,
उनकी खुशबू को तराशते रहे हम चारो ओर.....
और उनकी खुशबू अपने रूह में ही पाए.....
-